आदित्य नारायण ने फिल्म 'सरदारजी 3' को लेकर दिलजीत सिंह के विवादित बयान पर सवाल उठाया: 'हम कब तक उदारता दिखाएंगे?' उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता नहीं देने का मुद्दा गंभीर है।

आदित्य नारायण ने दिलजीत दोसांझ और 'सरदारजी 3' पर चर्चा करते हुए भारत-पाकिस्तान संबंधों और देशभक्ति पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने देशभक्ति और सहनशीलता की सीमाओं पर जोर दिया है, जिसके मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

मुख्य अंश:
1. देशभक्ति पहले:
आदित्य ने कहा, "मेरे लिए देश हमेशा पहले आता है।" आतंकवाद का समर्थन करने की पाकिस्तान की "आदत" की आलोचना करते हुए उन्होंने भारतीयों को "वसुधैव कुटुंबकम" के संदेश की भी याद दिलाई।

2. सहनशीलता की सीमा:
उन्होंने कहा, "हम कब तक बर्दाश्त करते रहें? जो गलत है, वह गलत है।" भारत-पाकिस्तान के संबंध कभी अच्छे नहीं रहे, लेकिन अब "देश के लिए खड़े होने का समय है।"

3. दिलजीत के फैसले पर राय:
आदित्य ने साफ किया कि अगर वे दिलजीत की जगह होते तो "देश को सबसे पहले रखते"। फिल्म इंडस्ट्री की ओर से रिश्ते सुधारने की कोशिशों (खेल, संगीत, फिल्म) के बावजूद "तालियाँ दोनों हाथों से बज रही हैं" - यानी पाकिस्तान की ओर से भी कोशिशें होनी चाहिए।

4. भारतीय संवेदनाएँ:
लोगों के मन में "अत्याचारों की यादें ताज़ा हैं" और ऐसे में "प्यार की ज़रूरत है", लेकिन साथ ही यह स्पष्ट संदेश भी दिया गया है कि "सहनशीलता की भी अपनी सीमाएँ होती हैं।"

निष्कर्ष:
आदित्य नारायण ने राष्ट्रीय एकता और संवेदनशीलता को प्राथमिकता देते हुए भारतीय प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उनकी राय देशभक्ति और सामूहिक जिम्मेदारी की भावना पर आधारित है, जिसमें सख्त लेकिन संतुलित राष्ट्रवाद का स्पर्श दिखाई देता है।

स्पष्टीकरण: आदित्य ने दिलजीत के फैसले की सीधे आलोचना करने के बजाय अपने व्यक्तिगत सिद्धांतों ("देश पहले") पर जोर दिया है।

लेख प्रकाशित | Sun | 29 Jun 2025 | 9:04 PM