
ट्रंप का दावा झूठा: खोमैनी को बचाने का आरोप, लेकिन ईरान की सेना और अर्थव्यवस्था विनाश के कगार पर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के बीच हाल ही में हुए विवाद और प्रतिक्रियाएं मीडिया में काफी चर्चा का विषय रही हैं। ट्रंप ने इजरायल के खिलाफ युद्ध में जीत के खामेनेई के दावे की आलोचना की है और ईरान की सैन्य और आर्थिक स्थिति पर टिप्पणी की है।
ट्रंप की आलोचना:
परमाणु सुविधाएं और अर्थव्यवस्था: ट्रंप ने दावा किया कि ईरान के तीन मुख्य परमाणु स्थल नष्ट हो गए हैं और देश की सैन्य और अर्थव्यवस्था कमजोर हो गई है।
खामेनेई को बचाने का दावा: ट्रंप ने कहा कि उन्हें खामेनेई के ठिकाने के बारे में पता था, लेकिन उन्होंने इजरायल और अमेरिकी सेना को उन्हें मारने से रोका, जिससे उनकी जान बच गई।
प्रतिबंधों पर टिप्पणी: ट्रंप ने कहा कि वह ईरान पर प्रतिबंध हटाने पर विचार कर रहे थे, लेकिन खामेनेई के आक्रामक बयान के बाद उन्होंने इस योजना को रद्द कर दिया।
ईरानी राष्ट्रपति पेज़शकियन की प्रतिक्रिया:
इज़राइल का प्रतिरोध: ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेज़शकियन ने कहा कि इज़रायली हमले का जवाब देना ज़रूरी था, अन्यथा क्षेत्र में एक बड़ा युद्ध छिड़ सकता था।
परमाणु सुविधाओं पर हमला: उन्होंने इज़रायल और अमेरिका पर अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील: पेज़शकियन ने UNSC और IAEA से इज़रायल के खिलाफ़ सख्त कदम उठाने की अपील की।
इज़रायली प्रतिक्रिया:
ख़ामेनेई को निशाना बनाने की धमकी: इज़रायली रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने कहा कि अगर ख़ामेनेई उनकी पहुँच में होते, तो वे उन्हें मार देते।
अमेरिका की स्थिति: अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेजेस ने ईरान पर हमले को "ऐतिहासिक सफलता" कहा।
निष्कर्ष:
इन सभी घटनाओं ने ईरान, इज़रायल और अमेरिका के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। ट्रम्प और खामेनेई के बीच वाकयुद्ध ने अंतरराष्ट्रीय बहस को जन्म दे दिया है, जबकि इजरायल ईरान की धमकियों को गंभीरता से ले रहा है। ऐसे में विश्व समुदाय की प्रतिक्रिया अहम भूमिका निभाएगी।
लेख प्रकाशित | Sat | 28 Jun 2025 | 8:43 PM