
एलन मस्क की स्टारलिंक को भारत में मिली मंजूरी, जंगलों और पहाड़ों में भी मिलेगा हाई-स्पीड इंटरनेट!
एलन मस्क की स्पेसएक्स को भारत में स्टारलिंक सेवा शुरू करने की मंजूरी मिली - जानें लागत, लाभ और चुनौतियां
मुख्य बिंदु:
स्वीकृति मिली: दूरसंचार विभाग ने स्टारलिंक को भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने की अनुमति दे दी है।
अंतिम मंजूरी लंबित: अब इसे INSPACE (भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र) की मंजूरी का इंतजार रहेगा।
सबसे सस्ता प्लान: शुरुआती ऑफर में ₹840/माह ($10) में अनलिमिटेड इंटरनेट मिलेगा।
प्रतिस्पर्धा: स्टारलिंक को जियो और वनवेब जैसी कंपनियों से मुकाबला करना होगा।
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए लाभ: स्टारलिंक उन क्षेत्रों में उपयोगी हो सकता है जहां फाइबर या मोबाइल नेटवर्क नहीं पहुंचते हैं।
भारत में स्टारलिंक के सामने चुनौतियां
1. सैटेलाइट की सीमित क्षमता:
फिलहाल, 7,000 सैटेलाइट दुनिया भर में 4 मिलियन उपयोगकर्ताओं को सेवा प्रदान करते हैं। 18,000 उपग्रहों के साथ भी, 2030 तक केवल 1.5 मिलियन भारतीय ग्राहकों को ही सेवा दी जाएगी (IIFL रिसर्च)। अमेरिका और अफ्रीका में नए ग्राहक पंजीकरण पहले ही बंद हो चुके हैं। 2. पारंपरिक इंटरनेट से ज़्यादा महंगा: ट्राई के अनुसार, शहरी उपयोगकर्ताओं से 500 रुपये प्रति माह शुल्क लिया जा सकता है। सैटेलाइट इंटरनेट फाइबर या 5G (जेएम फाइनेंशियल) की तुलना में 7 से 18 गुना ज़्यादा महंगा है। 3. भारत में कम सैटेलाइट कवरेज: दुनिया के कुल सैटेलाइट का केवल 0.70.8% भारत में मौजूद होगा। स्टारलिंक कैसे काम करेगा? सैटेलाइट धरती पर इंटरनेट सिग्नल भेजेंगे। उपयोगकर्ता को मिलेगा:
स्टारलिंक डिश (खुले आसमान के नीचे रखा जाएगा)
वाई-फाई राउटर
पावर सप्लाई और माउंटिंग स्टैंड
ऐप के ज़रिए नियंत्रण: ऐप एंड्रॉयड और iOS पर उपलब्ध होगा।
भविष्य की संभावनाएँ
लक्ष्य लंबी अवधि में 10 मिलियन ग्राहकों तक पहुँचना है।
हालाँकि, लागत और प्रौद्योगिकी सीमाएँ एक बड़ी बाधा हो सकती हैं।
लेख प्रकाशित | Fri | 06 Jun 2025 | 10:02 PM